अखिलेश यादव की मांग को मायावती ने दिया बल, इस मुद्दे पर मिले सुर, फंसी BJP

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल ही में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है, जहां समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने जातिगत जनगणना की मांग पर एकजुटता प्रदर्शित की है। इससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए नई चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
जातिगत जनगणना की मांग पर एकजुटता
बसपा संस्थापक कांशीराम की जयंती के अवसर पर, मायावती ने पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए जातिगत जनगणना की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज की आबादी 80% से अधिक है, और उनके संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए जातिगत जनगणना आवश्यक है। उन्होंने सरकार से इस दिशा में शीघ्र कदम उठाने की अपील की। citeturn0search0
अखिलेश यादव पहले से ही इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते रहे हैं, और मायावती के समर्थन से इस मांग को और बल मिला है। दोनों नेताओं की इस एकजुटता से भाजपा के लिए राजनीतिक परिदृश्य में नई चुनौतियाँ उभर सकती हैं।
भाजपा विधायक की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया
कुछ महीने पहले, भाजपा विधायक राजेश चौधरी ने मायावती के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस पर अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए चौधरी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी। अखिलेश ने कहा कि राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन एक महिला के रूप में मायावती की गरिमा को धूमिल करने का अधिकार किसी को नहीं है।
मायावती ने अखिलेश की इस प्रतिक्रिया के लिए आभार व्यक्त किया, जिससे दोनों नेताओं के बीच संबंधों में सुधार के संकेत मिले।